Lyrics

तुम मेरे पास रहो तुम मेरे पास रहो मेरे क़ातिल मेरे दिलदार मेरे पास रहो जिस घड़ी रात चले जिस घड़ी रात चले आसमानों का लहू पीके सियाह रात चले मरहम-ए-मुश्क़ लिए निश्तर-ए-अलमास लिए बन करती हुई हँसती हुई गाती निकले दर्द के कासनी पाज़ेब बजाती निकले जिस घड़ी सीनों में डूबे हुए दिल आस्तीनों में निहाँ हाथो की राह तकने लगे आस लिए राह तकने लगे आस लिए और बच्चों के बिलकने की तरह क़ुल्कुल-ए-मय बहर-ए-नासूदगी मचले तो मनाये ना मने जब कोई बात बनाये ना बने जब ना कोई बात चले जिस घड़ी रात चले जिस घड़ी रात चले जिस घड़ी रात में सुनसान सियाह रात चले तुम मेरे पास रहो तुम मेरे पास रहो मेरे क़ातिल मेरे दिलदार मेरे पास रहो तुम मेरे पास रहो तुम मेरे पास रहो
Writer(s): Arshad Mehmood, Faiz Ahmed Faiz Lyrics powered by www.musixmatch.com
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