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मैं बस यूँ ही खोयी रही तू भी कहीं खोया रहा यूँ आकर तेरी मेरी क़िस्मत मिली (क़िस्मत मिली) दिल को है जैसे दिल की मंज़िल मिली (मंज़िल मिली) इस पल ने इशारा किया हमको है तुम्हारा किया फिर सोचना क्या तो फिर सोचना क्या फिर सोचना क्या ख़ुद ही तो हो रहा है इश्क़ नया फिर रोकना क्या जितनी दफ़ा तुम चाहो इश्क़ हो आनें ना देंगे ना देंगे दोनों सुबह को पहले जरा बाहों में हमको लो फिर जो भी दिल में है वो होने दो इस पल ने इशारा किया हमको है तुम्हारा किया फिर सोचना क्या तो फिर सोचना क्या तो फिर सोचना क्या दिल भी है शाम भी है दोनों जवाँ फिर सोचना क्या
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