Lyrics

तारों से ज़्यादा टूटे मेरे सपने हैं तारों से ज़्यादा दूर मुझसे अपने हैं दिखाता ऐसे जैसे भूल गया तुझको पर हर वक़्त तेरा नाम मेरे लब पे है अब क्या ही मैं बातें करूँगा तेरी, क्या ही किसी को बोलूँगा जो राज़ दफ़न हैं अंदर मेरे, पन्नों पे बस मैं खोलूँगा तेरे आँसू हैं मोती, मैं गिरने ना दूँगा, गिर भी गए तो पिरो लूँगा मत लाना बारिश प्यार की, अब नफ़रत से ही ख़ुद को भिगो लूँगा लफ़्ज़ों से जान मत लो हमारी जीती मुझसे या ख़ुद से हो हारी? तुम ऐसी नहीं हो, जानता हूँ मैं ये या सच में अब तक झूठी क़समें खा रही? लफ़्ज़ों से जान मत लो हमारी जीती मुझसे या ख़ुद से हो हारी? तुम ऐसी नहीं हो, जानता हूँ मैं ये या सच में अब तक झूठी क़समें खा रही? ज़रूरत क्या थी झूठी क़समें खाने की जब ना थी हिम्मत रिश्तों को निभाने की तुम्हारे ख़ातिर बिक गए हम और कहती हो कोशिश ना करी थी हमने तुमको पाने की पर अब भी तुझसे मोहब्बत है, नफ़रत बस ख़ुद से ही करता हूँ नीलाम मोहब्बत हो गई, जाम लगा के ज़ख़्म को भरता हूँ तेरी आने की ख़्वाहिश पूरी ना हो कभी फ़िर भी ना जाने क्यूँ करता हूँ तेरे प्यार की क़ीमत इतनी बड़ी कि आज भी किश्त मैं भरता हूँ लफ़्ज़ों से जान मत लो हमारी जीती मुझसे या ख़ुद से हो हारी? तुम ऐसी नहीं हो, जानता हूँ मैं ये या सच में अब तक झूठी क़समें खा रही? लफ़्ज़ों से जान मत लो हमारी जीती मुझसे या ख़ुद से हो हारी? तुम ऐसी नहीं हो, जानता हूँ मैं ये या सच में अब तक झूठी क़समें खा रही?
Writer(s): Akrit Gangwar Lyrics powered by www.musixmatch.com
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