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यूँही दिल ने चाहा था रोना रुलाना
तेरी याद तो बन गई इक बहाना
यूँही दिल ने चाहा था रोना रुलाना
तेरी याद तो बन गई इक बहाना
हमें भी नहीं इल्म, हम जिस पे रोए
वो बीती रुतें हैं के आता ज़माना
वो बीती रुतें हैं के आता ज़माना
तेरी याद तो बन गई इक बहाना
ग़म-ए-दिल भी है और ग़म-ए-ज़िंदगी भी
न इसका ठिकाना न उसका ठिकाना
ग़म-ए-दिल भी है और ग़म-ए-ज़िंदगी भी
न इसका ठिकाना न उसका ठिकाना
न इसका ठिकाना न उसका ठिकाना
तेरी याद तो बन गई इक बहाना
कोई किसपे तड़पे, कोई किसपे रोए
इधर दिल जला है, उधर आशियाना
इधर दिल जला है, उधर आशियाना
तेरी याद तो बन गई इक बहाना
यूँही दिल ने चाहा था रोना रुलाना
तेरी याद तो बन गई इक बहाना
Writer(s): Roshan, Ludiavani Sahir
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